तू खुद की खोज में निकल

तू खुद की खोज में निकल -

तू खुद की खोज में निकल
तू किस लिए हताश है, तू चल तेरे वजूद की
समय को भी तलाश है
समय को भी तलाश है

जो तुझ से लिपटी बेड़ियाँ
समझ न इन को वस्त्र तू .. (x२)
ये बेड़ियां पिघाल के
बना ले इनको शस्त्र तू
बना ले इनको शस्त्र तू

तू खुद की खोज में निकल
तू किस लिए हताश है, तू चल तेरे वजूद की
समय को भी तलाश है
समय को भी तलाश है

चरित्र जब पवित्र है
तोह क्यों है ये दशा तेरी .. (x२)
ये पापियों को हक़ नहीं
की ले परीक्षा तेरी
की ले परीक्षा तेरी

तू खुद की खोज में निकल
तू किस लिए हताश है तू चल, तेरे वजूद की
समय को भी तलाश है

जला के भस्म कर उसे
जो क्रूरता का जाल है .. (x२)
तू आरती की लौ नहीं
तू क्रोध की मशाल है
तू क्रोध की मशाल है

तू खुद की खोज में निकल
तू किस लिए हताश है, तू चल तेरे वजूद की
समय को भी तलाश है
समय को भी तलाश है


चूनर उड़ा के ध्वज बना
गगन भी कपकाएगा .. (x२)
अगर तेरी चूनर गिरी
तोह एक भूकंप आएगा
तोह एक भूकंप आएगा

तू खुद की खोज में निकल
तू किस लिए हताश है, तू चल तेरे वजूद की
समय को भी तलाश है
समय को भी तलाश है |


यह प्रेरणादायक पंक्तिया, तनवीर घाज़ी द्वारा रचित हैं | 

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